Tuesday, 9 December 2014

हिंदी में BLOG लिखने का कारण

अंग्रेजी का प्रयोग करते करते, हम सब युवाओ का व्यवहार भी अंग्रेज़ी होता जा रहा है , हमारी पिछली पीढ़ी तथा उनसे भी पूर्व की पीढियो पर अंग्रेज़ी का गहरा प्रभाव हुआ है. 
अंग्रेजो के गुलाम रहते रहते, शारीरिक और मानसिक उत्पीडन सहते सहते, हम इस आधुनिक युग में अपनी विरासत भूलते गए, संस्कृत सीखनी तो अति दुर्गम प्रतीत होती है, हिंदी भी भूलते जा रहे हैं.

हम सब भारतवासियो की पहचान हिंदी है , अरब देश में, आज भी किसी भी पंथ को मानने वाले क्यों न हो भारतीयों को हिंदी या हिन्दू ही कहा जाता है. 
अब तो हमारे देश के स्वाभिमानी प्रधानमंत्री मा श्री नरेन्द्र मोदी जी तथा अन्य कई नेतागण भी हिंदी का परचम विश्व भर में लहरा के आयें हैं. 
खेर, वे तो सरकारी लोग हैं , परन्तु प्रजा का भी उतना ही दायित्व बनता है की हम अपनी संस्कृति, अपनी विरासत को अपने अन्दर जीवित रखें, अपने बच्चों और दुसरे लोगो को भी हिंदी का महत्व तथा गौरवशाली जननी मात्रभाषा संस्कृत सीखने की प्रेरणा दें. 

अंततः स्वयं को पहचान कर, खुले दिल और खुले मन के साथ मैं इक्कीसवीं सदी का युवा आपसे हिंदी बोलने, पढ़ने तथा हिंदी को व्यवहार में लाने की प्रार्थना करके, अपने इस BLOG का श्री गणेश करने जा रहा हूँ

भारत माता की जय 

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