हिन्दुओ में समयानुसार कुरीतियाँ आने के कारण हमारे आदर्श हमारी पूजन पद्दति भी कुरीतियों से भर गयी है
ऐसी ही एक भ्रान्ति फैली है समग्र समाज में , और उसी का प्रचार भी हो रहा है
हिन्दुओं के तेंतीस करोड़ देवी देवता हैं
इन बुद्धिमानो को कोई समझाये के १२१ करोड़ के देश में तेंतीस करोड़ देवी देवते क्या झक मार रहे हैं
बाकी पूरी सृष्टि के लिए देवी देवता कहा से लाओगे भई हिन्दुओ ?
स्पष्ट के अभाव में और ज्ञान ना होने के कारण हिन्दू ने ही अपना प्रचार ठीक ठीक नहीं किया
तेंतीस करोड़ देवी देवता DISCOVER नहीं हुए , भूल उन संस्कृत के विद्वानो से पढ़ने में हो गई
वेदो में ऐसी आज्ञा है के तेंतीस कोटि देवी देवता होते हैं जिनका नाम भी निचे लिख रहा हूँ
किसी विद्वान ने कोटि का अर्थ करोड़ लिख दिया तो मूर्खो की भाँती हम भी चल पड़े पीछे पीछे
३३ कोटि देवी देवता इस प्रकार हैं :-
८ - सूर्य , चन्द्र , नक्षत्र , पांच तत्व - पृथिवी , वायु , अग्नि , जल , आकाश ।
१२ - मास - चैत्र , आषाढ़ आदि ।
११ - रूद्र ( रोते एवं रुलाते हैं ) - जिनमे १० प्राण और १ आत्मा है ।
१ - इंद्र ( Lightning )
१ - प्रजापति ( यज्ञ )
केवल इनके चित्र को देख कर नतमस्तक ना हों
चरित्र को अपनाएं
Om Vishwani Dev Savitar Duritaani parasuv
yad bhadram tanna aasuv
om shantihi shantihi shantihi..
ऐसी ही एक भ्रान्ति फैली है समग्र समाज में , और उसी का प्रचार भी हो रहा है
हिन्दुओं के तेंतीस करोड़ देवी देवता हैं
इन बुद्धिमानो को कोई समझाये के १२१ करोड़ के देश में तेंतीस करोड़ देवी देवते क्या झक मार रहे हैं
बाकी पूरी सृष्टि के लिए देवी देवता कहा से लाओगे भई हिन्दुओ ?
स्पष्ट के अभाव में और ज्ञान ना होने के कारण हिन्दू ने ही अपना प्रचार ठीक ठीक नहीं किया
तेंतीस करोड़ देवी देवता DISCOVER नहीं हुए , भूल उन संस्कृत के विद्वानो से पढ़ने में हो गई
वेदो में ऐसी आज्ञा है के तेंतीस कोटि देवी देवता होते हैं जिनका नाम भी निचे लिख रहा हूँ
किसी विद्वान ने कोटि का अर्थ करोड़ लिख दिया तो मूर्खो की भाँती हम भी चल पड़े पीछे पीछे
३३ कोटि देवी देवता इस प्रकार हैं :-
८ - सूर्य , चन्द्र , नक्षत्र , पांच तत्व - पृथिवी , वायु , अग्नि , जल , आकाश ।
१२ - मास - चैत्र , आषाढ़ आदि ।
११ - रूद्र ( रोते एवं रुलाते हैं ) - जिनमे १० प्राण और १ आत्मा है ।
१ - इंद्र ( Lightning )
१ - प्रजापति ( यज्ञ )
केवल इनके चित्र को देख कर नतमस्तक ना हों
चरित्र को अपनाएं
Om Vishwani Dev Savitar Duritaani parasuv
yad bhadram tanna aasuv
om shantihi shantihi shantihi..