Thursday, 4 June 2020

हिन्दू खत्रियों / क्षत्रियों को आखरी चिट्ठी । Last reply to Hindu Khatris / Kshatriyas

पंजाब के क्षत्रिय कौन हैं ?

ये प्रश्न न तो कोई पूछता है और न ही अधिकतर लोग इस प्रश्न का उत्तर ही दे पाते हैं । इसका सबसे बड़ा कस्र्ण यह पूरे भारत में केवल पंजाब ही ऐसा प्रदेश है जिसे अधिकतर लोग वर्णों, जातियों, उपजातियों में बंटा हुआ नही मानते ।
यह एक बहुत ही एक गलत अवधारणा है । 

एक तरफ तो हम जानते हैं कि भारतीय मुसलमानों और ईसाईयों में भी जातियां और उपजातियां होती हैं तो पंजाब के लोगों को जातियों और उपजातियों में बंटा हुआ क्यों नही समझा जाता ।

यह एक गंभीर विषय है जिससे आजकल के पंजाबी विशेषत: पंजाबी क्षत्रिय (खत्री) ही ठीक से न तो समझते हैं और न ही समझा पाते हैं ।

पंजाब में क्षत्रियों को खत्री कहा जाता है जो कि संस्कृत के ही मूल शब्द क्षत्रिय से लिया गया है ।
उदाहरण के तौर पर पुत्र बन जाता है पुत्तर ।
और मित्र बन जाता है मित्तर ।


कपूर खन्ना चौपड़ा मल्होत्रा आदि Surnames को कौन नही जानता ?

जी हाँ ये सब खत्री (क्षत्रिय) Surnames हैं ।

पूरे भारत की तरह पंजाब के खत्री भी अधिकतर हिन्दू ही थे और आज भी हैं ।
इस्लामिक कालखंड में कुछ हिन्दू खत्री मुसलमान हो गये ऐसे ही पंजाब में गुरुओं के समय में भी कुछ हिन्दू खत्री सिख पन्थ में धर्मान्तरित होकर सिख खत्री हो गये परन्तु आज भी अधिकतर खत्री हिन्दू ही हैं ।

वास्तव में पंजाब के हिन्दुओं में सबसे अधिक जनसंख्या खत्री समाज की ही है जो खत्री हिन्दू से सिख या मुसलमान हो गये उन्होंने भी अपने मुस्लिम या सिख नाम के साथ अपना Surname लगाना नही छोड़ा ।

उदाहरण के तौर पर देखें तो 
किरन बेदी एक हिन्दू खत्री है ।
जबकि बिशन सिंह बेदी एक सिख खत्री है ।

देव आनन्द एक हिन्दू खत्री थे ।
मेनका कौर आनन्द उर्फ़ मेनका गांधी एक सिख खत्री है ।

अभिनेता विवेक ओबेराय एक हिन्दू खत्री हैं ।
मोहन सिंह ओबेराय एक सिख खत्री है जो कि भारत के मशहूर ओबेराय होटल ग्रुप के मालिक हैं ।

अभिनेत्री करिश्मा कपूर एक हिन्दू खत्री हैं ।
और उनके पति संजय कपूर एक सिख खत्री हैं ।

अभिनेता संजय सूरी एक हिन्दू खत्री हैं ।
अमिताभ बच्चन की माता तेजी कौर सूरी एक सिख खत्री थीं ।


अभिनेता परमीत सिंह सेठी एक सिख खत्री है ।
पाकिस्तानी वरिष्ठ पत्रकार नजम सेठी एक मुस्लिम खत्री है ।

विराट कोहली एक हिन्दू खत्री है ।
जबकि पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह कोहली एक सिख खत्री हैं ।

मनीष मल्होत्रा एक हिन्दू खत्री है ।
तारा सिंह मल्होत्रा एक सिख खत्री थे ।

तारा सिंह मल्होत्रा अकाली दल के Founder Member थे और पंजाब के विभाजन में मुख्य भूमिका निभाने वाले थे, इन्हें हम मास्टर तारा सिंह के नाम से जानते हैं । हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का निर्माण पंजाब के विभाजन के बाद ही हुआ उससे पहले पंजाब को PEPSU STATE के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ है Eastern Punjab & Patiala State Union.

अलग खालिस्तान देश बनाने की विचारधारा मास्टर तारा सिंह के दिमाग की ही उपज है। 


अन्य पंजाबी क्षत्रिय (खत्री) Surnames इस प्रकार हैं ।

Anand, Arora
Bagga, Bajaj, Bakshi, Batra, Batta, Bedi, Bhalla, Bhola, Bhasin, Bindra, 
Chadha, Chandok, Chandana, Chopra, Chhabra
Dhawan, Dhingra, Dhir, Dua, Duggal,
Gambhir, Ghai, Gujral, Gulati, Grover
Handa, Hasija
Jalota, 
Kakkar, Kapoor, Kathuria, Katyal, Khanna, Khosla, Kohli, 
Malhotra, Mehra, Mehrotra, Monga,
Nayyar, Nagpal, Nikhanj, Oberoi, 
Puri, 
Rai, Roshan, 
Sagar, Saggi, Sahni, Samnotra,  Sarin(Sareen), Sarna, Sehgal, Sethi, Sial, Sobti, Sodhi, Suri,
Talwar, Tandon, Tuli, Thapar, Trehan,
Oberoi, 
Uppal, 
Vij, Vohra,
Wadhawan, Walia (Ahluwalia)


पंजाबी खत्रीयों की एक बहुत छोटी संख्या जैन सम्प्रदाय में भी पाई जाती है ।


कुछ जाने माने हिन्दू खत्रियों के नाम इस प्रकार हैं:

Sukhdev Thapar,
Madan Lal Dhingra,
Ayushman Khurana,
Kalpana Chawla,
Shikhar Dhawan,
Rakesh Roshan,
Hritik Roshan,
Gautam Gambhir,
Priyanka Chopra,
Rajesh Khanna,
Raveena Tandon,
Kareena Kapoor,
Parmeet Sethi,
Sonu Sood,
Sabeer Bhatia
Raj Kundra, 
Karan Johar,
Subhash Ghai,
David Dhawan,
Govinda (Ahuja),
Manisha Lamba,
Deepa Mehta,
Kapil Sibal,
Balraj Madhok,
Amrish Puri,
Madan Puri,
K.L.Sehgal (Singer)
Raj Babbar,
Anoop Jalota,
Ramanand Sagar,
Gulshan Kumar,
Gulshan Grover,
Shakti Kapoor,
Jitendra (Ravi Kapoor)


खन्ना, कपूर, मल्होत्रा, चोपड़ा तथा कुंद्रा खत्रियों का तो गोत्र सबसे अधिक 'कौशल' पाया जाता है जो कि स्वयं कोशल ऋषि के नाम पर ही है ।


खिलजी, तुगलक और मुगलों के साथ हिन्दू खत्री राजाओं के कई युद्ध हुए हैं जिनका एक विस्तृत इतिहास है ।

अकबर के साथ अरोड़ा, सरीन, खन्ना आदि खत्रियों के युद्ध तो बहुत लम्बे समय तक चले ।

परन्तु विडम्बना है कि इनका इतिहास एक षड्यंत्र के तहत मिटा दिया गया है ।

और हमे आदत हो गई यह सुनने कि सिख न होते तो सुन्नत होती सबकी ।

परन्तु कुछ प्रश्न है  जो कभी किसी नइ नही पूछे ।

1. महाराणा प्रताप और शिवाजी क्या खेतीबाड़ी करते थे अगर सिखों ने ही बचाया सभी हिन्दुओं को तो ?

2. सिख आये 500 वर्ष पूर्व और लड़ना शुरू किया लगभग 300 वर्ष पूर्व, इस्लामिक आक्रमणों के 1300 वर्षों में से 300 वर्ष घटा दें तो ...इन बाकी पहले के 1000 वर्षों में कौन लड़ रहा था ?

किसने बचाए हिन्दू ?

इस्लामिक आक्रमणों के इतिहास में पंजाब में हिन्दू कैसे जीवित रहे ...सिखों के उदय और लड़ने के 1000 वर्ष तक ?

जी हाँ ...समस्त भारत के अन्य क्षत्रियों की भाँती... पंजाब के क्षत्रियों ने भी इस्लामिक आक्रमणों का डट कर सामना किया है ।

परन्तु एक षड्यंत्र के तहत पंजाबी हिन्दू क्षत्रियों (खत्रियों) का इतिहास मिटा दिया गया है ।

मिलता है तो केवल हिमाचल और जम्मू के कुछ पुस्तकालयों में ... पंजाब में कहीं नही ।

और पंजाब के हिन्दू क्षत्रियों ने भी कभी अपने इतिहास को खोजने का प्रयास ही नही किया... आज किसी पंजाबी हिन्दू क्षत्रिय से पूछ लो उसका गोत्र क्या है...उसे सांप सूंघ जाएगा ।

क्यूंकि उसके माता पिता ने बताया ही नही कभी... पंजाब के क्षत्रिय अब व्यापारी बन चुके हैं ।

ये मन्दिर जाएँ न जाएँ परन्तु गुरूद्वारे जरूर जायेंगे... 

राजेश चोपड़ा एक पंजाबी हिन्दू खत्री होगा ।

गुरविंदर चोपड़ा एक पंजाबी सिख खत्री होगा ।

परन्तु दोनों में अंतर आज की नई पीढ़ी भी नही बता पाती ।

लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं कभी कभी सुनकर...

पंजाब के हिन्दू...?
पंजाब में हिन्दू कहाँ रहते हैं ?

गोवा के हिन्दू ?
गोवा में भी हिन्दू रहते हैं क्या ?

पंजाबी हिन्दू क्षत्रिय...
इस पर तो खत्री का ही प्रश्न आयेगा...
पंजाबी खत्री तो सुना है पर पंजाबी क्षत्रिय पहली बार सुना है ।

धर्म का नाश ऐसे ही होता है जब हम छोटी छोटी बातें भी अपने बच्चों को नही बताते ।

समीक्षा का सार यही है की हमे हमारे ग्रन्थो से ऐसे प्रमाण मिलते हैं की
आज के खत्री/अरोड़ा
राम के पुत्र
राजा लव जिन्होंने लाहौर पर राज्य किया व राजा कुश जिन्होंने सिंध व् मुल्तान पर राज्य किया

के सीधे वंशज हैं

द्वापर में जयद्रथ जैसे महान खत्री राजा हुए
कलयुग में हिन्दूशाही, खोखर राज आनन्द, राजा अरूट जिनके नाम पर अरोड़ा नाम पड़ा है इत्यादि

जय श्रीरामकृष्ण 
इति ओ३म्

Monday, 18 May 2020

अद्वैत वेदांत की सिद्धांत समीक्षा | Advait Vedanta Principles and their mimansa.

ओ३म्। स्वस्ति नऽ इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस् तार्क्ष्योऽ अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर् दधातु॥२७॥                    –यजुर्वेद २५.१९

सरल अर्थ - मनुष्य को चाहिए जैसे स्वयं के लिए सुख चाहे, वैसे ही दूसरों के लिए भी चाहें, जैसे अपने लिए दुःख ना चाहें वैसे किसी के लिए भी ना चाहें। ऐसी प्रार्थना सदैव परम् ऐश्वर्यवान ईश्वर से करनी चाहिए।। 

अद्वेतवाद सिद्धांत वेद में दिया है
जिसका अर्थ है कि परमपिता परमेश्वर ओम के सम्मुख कोई दूसरा नही है यानी वो केवल एक परमात्मा है

इसमे यजुर्वेद का प्रमाण 

ॐ प्रजापते न त्वदेतान्यन्यो विश्वा जातानि परिता बभूव । यत्कामास्ते जुहुमस्तन्नो अस्तु वयं स्याम पतयो रयीणाम्

दूसरे शब्द का पाणिनि व्याकरण अनुसार विच्छेद करें तो 4 शब्द बनते हैं

ना त अद्वेता अनन्यो 
का अर्थ है नही है तुम जैसा दूसरा और अन्य कोई, अर्थात तुम एक हो, अद्वितीय हो, यहीं से अद्वैत का वैदिक सिद्धांत बना था पर...

अब पौराणिक कथावाचकों और नवीन छलिय वेदांतवादी अर्थ सुनो

अद्वेत का अर्थ है कि दूसरा कुछ नही है एक उस परमात्मा के सिवा यानी
उसके सिवा कोई और पदार्थ ही नही है

ना जीवात्मा, ना प्रकृति, ना काल, ना ब्रह्माण्ड, ना व्यवस्थाएं यानि 
ये सब कुछ ईश्वर ही है
मैं भी, तुम भी, तुम्हारे हाथ मे पकड़ा फोन भी, टीवी भी, नाली का पानी भी और इन लोगो की मूढ़ बुद्धि भी, ये सब कुछ ईश्वर ही है

पदार्थ कुछ नही, जीवात्मा कुछ नही

ब्रह्म सत, जगत मिथ्या

अहम ब्रह्मास्मि का अर्थ भी इन्होंने यही किया है कि मैं ब्रह्म हूँ

मैं शिव हूँ
चिदानन्द रूपः शिवोहम शिवोहम

ऐसी ऐसी कपोलकल्पना मनगढ़ंत बातें कर रखी हैं वेदांतवादी पौराणिक लोगों ने

अब इस पौराणिक पोप पर वैदिक तोप देखो
💣💣💣💣💣💣💣


यदि जब कुछ है ही नही, सब कुछ ईश्वर ही है, तो फिर ईश्वर उत्तपत्ति पालन और प्रलय भी स्वयं का ही कर रहे हैं??
इससे तो फिर बड़ा ड्रामेबाज़ ईश्वर सिद्ध हुआ कि अपनी फिल्म बना के आप ही देखे जाए

हम भी ऐसे की उपासना क्यों करें जबकि हम तो हम हैं ही नही
हम तो स्वयं ही ईश्वर हैं
तो बे तुम हमारी करो हम तुम्हारी करें? बड़ा कंफ्यूज़न हो

और ईश्वर हमे राजा की तरह पालन करता है और हमे प्रजा की तरह व्यवहार करना चाहिए राजा की बात मान कर, अब इनका अर्थ माने तो फिर सब कुछ ब्रह्म ही है सभी कुछ परमात्मा है तो
कोई किसी की बात क्यों माने?

पाकिस्तानी आतंकवादी भी ब्रह्म है
उसको सजा देने वाली भारतीय सेना का जवान भी ब्रह्म है
जो गोलियां चल रही हैं वो गोली भी परमात्मा है

परमात्मा परमात्मा से ही परमात्मा के धारण किये शरीर को मार रहा है?
क्या फ़िल्म चल रही है ये?

वास्तविकता तो यह है कि अद्वेत का अर्थ ही अनर्थ किया हुआ है
जब हम स्वयं ब्रह्म ही हैं तो हमारे और उनके गुण अलग कैसे हैं?
और प्रकृति भी ब्रह्म है हम भी ब्रह्म है तो हमारे और प्रकृति के गुण अलग कैसे?

गुण भी अलग
कर्म भी अलग 
स्वभाव भी अलग

तुम पानी बन जाओ या अग्नि बन जाओ एक ही बात है क्या?
क्या दोनों के गुण कर्म स्वभाव अलग नही?

और यदि जगत मिथ्या है, तो भाई मिथ्या कार्य करता है क्या ईश्वर? बड़ा नौटंकी हुआ फिर तो क्यों ही उपासना के योग्य है?
क्या ईश्वर झूठा है? मिथ्या कर्म, मिथ्या भाषण करता है? या सत्यवादी और सत्य आचरण करता है?

जब पपीता कटेगा तो छोटा पपीते का टुकड़ा बनेगा, टुकड़े का और मूल पपीते का गुण एक है व पृथक पृथक 
यानी दोनों बराबर मीठे, कणों का घनत्व(Density) बराबर, पुष्टाहार बराबर
तो तुम कहोगे कि गुण तो एक है

तो फिर यदि हम ब्रह्म का ही हिस्सा यानी स्वयम्भू हैं तो हम भी सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सर्व्यापक, नित्यपवित्र सृष्टिकर्ता न्यायकारी, धर्म मार्ग में चलाने, कर्मानुसार जन्म प्रदान करने वाले होने चाहिएं
क्या एक भी ऐसा गुण जीवात्मा में है? चलो छोड़ो प्रकृति में है?

क्या प्रकृति न्याय अन्याय धर्म अधर्म सर्वज्ञ तो क्या अल्पज्ञ भी नही हो सकती वह तो जड़ है, चेतन भी नही हो सकती

और यदि करोड़ो आत्माएं और करोड़ो प्राकृतिक जगत ईश्वर के टुकड़े हैं तो अलग अलग होने से ईश्वर तो कइ टुकड़ो में बट गया होगा अबतक?

ऐसा कुछ भी नही है
अद्वेत का अर्थ है
तुमसे भिन्न ना कोई जग में
सबमे तू ही समाया है
जड़ चेतन सब तेरी रचना
तुझमे आश्रय पाया है

हे सर्वोपरि विभु विश्व का तूने साज सजाया है
हेतु रहित अनुराग दीजिये यही भक्त को भाया है

यानी हम सब उसमें है
वो हम सबमे है
सूक्ष्मरूपी तत्व की तरह

लेकिन हम वो नही है
और वो हम नही है

इसलिए मूर्तिपूजको से मेरा एक प्रश्न हमेशा रहता है
कि मूर्ति में ईश्वर मानते हो?
या मूर्ति ही को ईश्वर मानते हो?
😀
तो हड़बड़ा जाते हैं और कहते हैं
धर्म कर्म में तर्क नही करते
जो चला आ रहा है मान लो

तो चला तो अंग्रेजी शासन भी था
बौद्ध धम्म चक्क भी था
इस्लामी काल भी आया था
उसे क्यों विरोधवश तोड़ा?इतना समय तब भी इसलिए लग गया क्योंकि सोच पर सोचने के लिए ताले लगे थे

आज यही ताले इन तथाकथित वेदांतवादी और पोंगा पाखंडियों ने लगाए हमारी बुद्धि पर

कि 
होउ वही जो है राम रची राखा
क्यों करे तर्क बढ़ावे साखा

तो ऐसी ऐसी व्याख्या करना जड़बुद्धि लोगो का कार्य है
इन्हें स्वयं को वेदांतवादी कहना छोड़ देना चाहिये
असत्यभाषण आदि दोषों से बाहर आना चाहिए

ओम शम

-
विचारक

Thursday, 1 March 2018

हिन्दू कहने में शर्माते? Are you ashamed to call yourself 'Hindu'?

आंख खोल कर देखो घर में भीषण आग लगी है,
धर्म, सभ्यता, संस्कृति खाने दानव क्षुधा जगी है।

हिन्दू कहने में शर्माते, दूध लजाते, लाज न आती?
घोर पतन है, अपनी माँ को माँ कहने में फटती छाती।

- अटल बिहारी वाजपेयी

अटल जी द्वारा लिखी यह पंक्तियाँ वाकई हमे सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपना गोत्र, उपनाम, जाति बहुत गर्व से अपने नाम के साथ लगाते हैं।

दूसरों को बतातें फिरते हैं कि हम तो ब्राह्मण हैं, हम तो गुज्जर हैं, हम तो जाट हैं, राजपूत हैं, बनिये हैं, पंजाबी हैं, मराठी हैं, सिंधी हैं, गुजराती हैं इत्यादि

यदि कोई अपना उपनाम व जाति निजी कारणों से न बताना चाहे तो उससे 'फिर भी?', 'आप क्या हो वैसे?' कह कर 'उसकी जाति' ही पूछ लेते हैं फिर पता नही कैसा चरम सन्तोष प्राप्त होता हो यह जानकर की यह अपनी जाति का है या नही, यह तो मैं नही समझ पाया।

क्या पता कुछ लोग भेदभावपूर्ण या राजनीतिपूर्ण दृष्टि से सन्तोष पा लेते हो और अपने मन में उसकी जाति के अनुसार उसकी इमेज अपने दिमाग मे बना लेते हो जैसा उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना हो उनके बारे में।

जैसे बनिये कंजूस होते हैं, सिंधी गुजराती पैसे के पीर होते हैं, पंजाबी है तो दारू तो पीता ही होगा, जाट है तो सोलह दूनी आठ होगा, गुर्जर है तो लड़ाका होगा इत्यादि चर्चित बातों को एक दूसरे पर बिना अपनी बुद्धि का प्रयोग करे थोपते आएं हैं।

न जाने ये हिन्दू जाति यानी हिन्दू संस्कृति को धारण करने वाले लोग कब अन्य जाति वालों को अपना मानना शुरू करेंगे।

चलिए एक भेद खोलते हैं आपके आगे, आपमे से अधिकतर लोगों ने सिंधी शब्द तो सुना होगा या पंजाबी शब्द सुना ही होगा

ये सिंधी और पंजाबी क्या है? ये 2 भाषाएं हैं जो सिंध और पंजाब प्रान्तों में बोली जाती हैं। जी हाँ। यह कोई जातियाँ नही है!

सिंध प्रांत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति सिंधी कहलाता है
और पंजाब प्रांत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति पंजाबी कहलाता है

क्या आप जानते हैं कि सिंधी राजपूत, पंजाबी राजपूत भी होते हैं, सिंधी बनिये पंजाबी बनिये भी होते हैं, सिंधी ब्राह्मण और पंजाबी ब्राह्मण भी होते हैं, सिंधी जाट व पंजाबी जाट भी होते हैं, सिंधी गुर्जर पंजाबी गुर्जर, सिंधी चमार पंजाबी चमार, सिंधी खटीक पंजाबी खटीक, सिंधी सैनी व पंजाबी सैनी, इत्यादि

और क्यो न हों? पंजाब और सिंध केवल प्रान्तों के नाम हैं, उसमे सब जातियाँ रहती हैं और मातृभाषा पंजाबी और सिंधी बोलती हैं, तो वहां के रहने वाले सभी पंजाबी व सिंधी कहलायेंगे या नही?

पर विरला ही कोई इस बात को आज समझ पाता है कि यह पंजाबी राजपूत है और यह पंजाबी खत्री है और यह पंजाबी जट है या ये सिंधी ब्राह्मण है या ये सिंधी बनिया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि यह दो प्रान्तों से इन सिंधी व पंजाबी हिन्दूओ की लभगभ सभी जातियों ने अपना अपना इतिहास भुला कर, अपनी अपनी जातियाँ भुला कर, केवल भाषा को जीवित रखा।
जब गीदड़ की मौत आती है तो शहर की ओर भागता है यह दोनों प्रान्त की सभी जातियाँ भी शेरों के समान 1000 सालों तक मुसलमानों के हमलों से लड़ती रही और जबतक पूरी तरह दमन हो गई तब गीदड़ के समान शहर की तरफ भागी, आज पंजाबी और सिंधी भाषा बोलते लोग आपको पूरे देश के लगभग सभी बड़े शहरों में व विदेश में भी मिल जाएंगे।

और इनको अब कोई पंजाबी ब्राह्मण पंजाबी खत्री पंजाबी राजपूत या सिंधी बनिया या सिंधी राजपूत या सिंधी जाट कह के नही पुकारता, केवल सिंधी या पंजाबी ही कहा जाता है।

इतनी विभाजित हुई जातियाँ भी अपने को एक तन्त्र के भीतर विकसित करने में सक्षम रही और देश के सबसे बड़े अधिकतर उद्योगपति सिंधी या पंजाबी ही हैं।

परन्तु भारतीय प्रजातन्त्र व संविधान ने इन दोनों भाषाओं के बोलने वालों को जाति का नाम दे दिया और कमाल है हिन्दुओं तुम्हे 2 नई जातियाँ मिल गयी।

अब आलम यह है कि ये दो जातियों को पाकिस्तानी कह के सम्भोधित किया जाता है और बाकी जातियाँ अब भी वही धुरी पर घूम रही हैं, ब्राह्मण, बनिया, नार्थ इंडियन साउथ इंडियन, बिहारी मराठी, बंगाली असामी आदि विवादों में फंसी हुई हैं।

जब ये 2 भाषाओं के बोलने वाले दमन करने के बाद अपने को पंजाबी और सिंधी काल्पनिक जाति वाला कह के एक सूत्र में पिरो गए तो क्यों नही समस्त जातियाँ अपने भेदभाव भूला कर, अपने अपने समाजी मंचो को छोड़, समग्र हिन्दू समाज कह कर स्वयं को एक धागे में पिरोने की पहल करें।

लगता है समग्र दमन(मार-काट) सहना अभी बाकी है, औरंगजेब व खिलजी का राज दुबारा आना बाकी है,
क्योंकि उनके लिए कोई ब्राह्मण जाट गुज्जर यादव पंजाबी मराठी नही है उनके लिए हम सब काफ़िर हैं

काफ़िर यानी जो अल्लाह को नही मानता और जो अल्लाह को न माने वो जीवन जीने योग्य नही है। ऐसा आसमानी किताब कुरआन कहती है।

एक बार और दमन सहने पर शायद ये बचे खुचे कटे फ़टे जातियों में बटे हिन्दू एक हो जाएं।

- विचारक (कटाक्षपूर्ण)

Sunday, 4 February 2018

हिन्दुओं को आख़िरी चेतावनी । Last Warning to Hindus

जो कौम खून देख नही सकती है वो नर पिशाचो से लड़ेगी कैसे ??

सिर्फ 10-15 साल और अय्याशी कर लो। 
शाहरुख,सलमान की फिल्मे देख लो,
होली,दिवाली,शिव रात्री तो तुम्हारा कोर्ट और लोक तंत्र बंद करवा ही देगा
बाकी बचा काम शरियत और इस्लामिक कानून पूरी कर देगा 

हिंदुओं तुम्हारे पास तो ना लड़ने वाले हाथ बचे है
हम दो हमारा एक बस और नही 
ना लड़ने का कलेजा है
ना तुम्हारे साथ तुम्हारे देश का कानून है
ना तुम्हारी बिकाऊ और चार जालीदार टोपी देख कर पेशाब कर देने वाली पुलिस तुम्हारे साथ है 
ना सेना तुमको बचा पाएगी 
तुम्हारी हालत गली के आवारा कुत्ते जैसी होना निश्चित है
जानते होना क्यूँ ??
क्यूँ की तुम डरपोक और कायर होने के साथ साथ पलायनवादी हो चुके हो !
हर मुद्द्दे से भागना ,अपनो के दुख मे साथ ना देना ,
80 करोड़ हिंदुओं पर शासन करने और सभी हिंदुओं की सु्न्नत करवाने के लिए सिर्फ 8 लाख ट्रेंड जेहादियो और एक करोड़ जालीदार टोपी वालो की अनियन्त्रित भीड़ की आवश्यकता पड़ेगी,
जो उन लोगो के पास है और एक लाख आस्मानी किताब पढ़ाने वाला सेनापती चाहिए वो भी उनके पास है , 
उनकी ताकत उनका अपने मत के प्रति समर्पण है ऐसा जुनून और हौसला या जिगर क्या तुम हिंदुओं मे है ??
क्या तुम धर्म का अपमान करने वाले का गला काट पाओगे ??कभी नही 
तुम मीट खा सकते हो लेकिन बकरे की गर्दन हलाल नही कर पाओगे क्यूँ की तुमको उल्टी आ जाएगी चक्कर खा कर गिर पड़ोगे

शायद तुम कभी न उठने वाली कुम्भकर्णी नींद में सो रहे हो, दिन में खाना शाम को उड़ाना और रात को नंगे हो जाना, यह पशुओं जैसा जीवन तुमने अपना लिया है

अब यू लगता है मानो भारत माता तो छोड़ो तुम्हारी माता को भी कोई पिशाच उठा ले जाये तो भी तुम कुछ नही कर पाओगे
यह पहले भी होता था और आगे भी होगा जिस दिन सत्ता उनके हाथ लग गई इस देश मे हिन्दू नस्ल का निशान भी बाकी नही रहेगा

-
विचारक

Friday, 19 January 2018

Nehru was a communist, not socialist.

First and worst PM of india was Jawaharlal Nashedu/Nehru.

This blog will explain you in detail about the same.

Biggest mistakes by Nehru which are difficult to undone.

नेहरू की वह गलतियां जो भारत देश आजतक भुगत रहा है व आगे भी भुगतेगा

1. United Nations Security Council (UNSC) की पूर्णकालिक सदस्यता भारत को 1950 में ऑफर हुई थी फ्री में, जिसे दूरदृष्टा नेहरू ने दरियादिली दिखाते हुए चीन को दे दिया। चीन के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने की होड़ में नेहरू भविष्य को भांप न सके और 1962 में चीन भारत युद्ध मे भारत को मुंह की खानी पड़ी जिससे नेहरू की सारे संसार मे थू थू हुई।

समस्या यह कि आज भारत ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहा है security council में सीट पाने के लिए पर चीन ही भारत का रास्ता रोके हुए है।

2. नेहरू ने कभी भी अपनी सेना की बात नही सुनी, आर्मी में सैनिकों की कमी, आर्मी पर होने वाले खर्च की कमी, रक्षा मंत्री का विदेश मंत्री जैसा रवैया होना, यह समस्याएं 10 सालों में विक्राल रूप लेलेंगी ऐसा हमारे दूरदृष्टा नेहरू सोच न सके
1947 में कश्मीर हारे गिलगिट बाल्टिस्तान खो दिया, 1962 में लद्दाख का 45% हिस्सा चीन ने कब्जा लिया। उनके नशेड़ीपन की आदत इस कदर थी कि संसद में वह बोले जो इलाका चीन से हमने हारा है वहां तो सिवाय झाड़ियों के कुछ नही उगता इसपर संसद में महावीर त्यागी(सोनीपत से सांसद) ने उपहासास्पद रूप से कहा कि आपके सर पर भी 3 बाल से अधिक नही उगते क्या आपका सर भी चीन को दे दिया जाना चाहिए क्या?

समस्या यह कि विगत वर्षों में हम सैन्य पराजय के बाद चीन से दुबारा टक्कर लेने की स्थिति में आज भी नही हैं।

3. सबसे महत्वपूर्ण समस्या जिससे भारत आजतक झूझ रहा है वह है, जम्मू और कश्मीर मसले का हल। केवल 2 सप्ताह मांगे थे भारत की सेना ने नेहरू से की हम कश्मीर को पाकिस्तानियो के कब्जे से छुड़ा लेंगे, पर दूरदृष्टा नेहरू कहाँ उनकी सुनने वाले थे, कश्मीर के मसले को UNO में लेजाने का ऐयिहासिक फैसला करते ही, कश्मीर की समस्या विदेशियों के हाथ सौंप दी।
अब अमरीका बताएगा कि कश्मीर किसका है भारत का या पाक का?

यह समस्या आजतक लाखों कश्मीरियों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करती है चाहे वे हिन्दू हो या मुसलमान

4. शेख़ अब्दुल्लाह के साथ मित्रता के चलते, अधिक जनसंख्या वाले हिन्दू बहुल जम्मू को केवल 28 सीट दी और कम आबादी वाले मुस्लिम बहुल कश्मीर को 45 सीट देकर नेहरू ने देश और जम्मू कश्मीर वासियों के साथ धोखा किया है व लद्दाख को केवल 4 सीट दी जिनमें 2 मुस्लिम बहुल व 2 बौद्ध बहुल हैं

समस्या यह कि अब असेम्ब्ली में अधिकांश मुस्लिम विधायक होने के कारण कश्मीर का मुख्यमंत्री कभी हिन्दू नही हो सकेगा न कभी बौद्ध हो सकेगा।

5. देश के राज्यों को भाषाओं के आधार पर विभाजित करना,जिससे पंजाब पंजाबियों का, हरियाणा हरियाणवीयो का, कर्नाटक कन्नडिगाओ का, आंध्र तेलेगुओ का, तमिल नाडु तमिलियो का होकर रह गया पर देश भारतीयों का होकर नही रह जाता। यह नेहरू की वोटबैंक पोलिटिक्स के कारण हुआ।

समस्या यह कि लोगों के लिए देश भक्ति से पहले प्रांतवाद व भाषावाद के भक्त बने घूम रहे है
हम नार्थ तुम साउथ, हम द्रविड़ तुम आर्य। तू पंजाबी मैं हरियाणवी बने घुम रहे हैं, भाषा प्रान्त जाति व मत से पहले हम देश की बात क्यों नही करते?

5. दूरदृष्टा नेहरू द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था की मिट्टी पलीत करना जिससे भारत दशकों तक नही उभर सका, पिछड़े से भी पिछड़े देश 5% की वृद्धि दर से तरक्की कर रहे थे जबकि नेहरू के कालखण्ड में 4.2% की विकास दर थी हमारी।
नेहरू का मानना था कि अधिक उद्योग की आवश्यकता नही, एक्सपोर्ट के खिलाफ थे, मार्कट का कंट्रोल सरकार के हाथ मे होना चाहिए ऐसा मानना कम्युनिस्ट विचार है।

कुछ और नेहरू की गलतियां जिससे कि भारत की सुरक्षा पर आज भी खतरा हो सकता है, निम्नलिखित हैं

6. ग्वादर पोर्ट जो कराची में है ओमान सल्तनत ने भारत को 1 मिलियन डॉलर में ऑफर किया था, दूरदृष्टा नशेडू ने उसे ठुकरा दिया, पाकिस्तान ने उसी ग्वादर पोर्ट को 3 मिलियन डॉलर में खरीद लिया और चीन को बेच दिया जिससे भारतीय नौसेना और मर्चन्ट जहाज़ों को खतरा बना रहता है।

7. नेपाल, भारत मे विलय होने का प्रस्ताव भारत के पास लेकर आया था, नेहरू ने उसे भी ठुकरा दिया यह कह की कि यह बाकी देशों से हमारे रिश्ते बिगाड़ सकता है। दूरदृष्टा नेहरू जी इतने सुंदर देश जहां माउंट एवरेस्ट है दुनिया की सबसे मशहूर टूरिस्ट स्पॉट से भारत की अर्थव्यवस्था को कितना फायदा होता, आज आतंकी व ड्रग स्मगलर नेपाल के रास्ते भारत मे जुर्म करके भाग जाते हैं।

8. भारत का कोको आइलैंड म्यांमार को गिफ्ट में देना व म्यांमार का उस गिफ्ट को चीन को बेच देना 1994 में जिससे आजतक चीन अपनी पैठ भारतीय समुद्रों में बना रहा है

9. दुनिया मे कही स्वर्ग है तो वह है कश्मीर में यदि आप यही समझते हैं तो आपने कबाव घाटी के बारे में नही सुना जो कश्मीर से भी सुंदर घाटी मानी जाती है, इस घाटी को भी नेहरू ने म्यांमार को गिफ्ट कर दिया और पर्यटक अर्थव्यवस्था बनाने से चूक गए

इन सभी के अलावा 2 और बड़ी गलतियां जो नेहरू करता गया और हम चुपचाप बैठे हुए देखते गए वे थी

कॉमन सिविल कोड का नाम हिन्दू सिविल कोड करना और मुसलमानों के लिए शरियत कानून के अनुसार नया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बनाना जिससे मुस्लिम कांग्रेस के वोटबैंक बने रहे और कांग्रेस राज करती रहे। यह समस्या इतनी बड़ी है कि एक दिन यह देश इस्लामिक हो जाएगा क्योंकि 2050 तक मुस्लिम ईस धरा पर हिंदुओं से अधिक होजाएंगे और हम अपने ही देश मे अल्पसंख्यक बन जाएंगे

दूसरी यह कि अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी द्वारा नेहरू को नुक्लेअर बम बनाने का प्रस्ताव चीन से पहले देना व नेहरू का उसे यह कहकर ठुकरा देना की भारत तो शांतिप्रस्थ देश है हमे नुक्लेअर बम की क्या आवश्यकता।
अरे बेवकूफ नेहरू बम हमे एक दूसरे पर नही गिराने, दुश्मन पर गिराने है जो कि तुम्हारी शांतिप्रस्थ देश की शांति भंग करने की ताक में बैठा है

यदि नेहरू ने कैनेडी की बात मान ली होती तो चीन व पाकिस्तान 1962, 1965 व 1971 में भारत की ओर उंगली करने की हिम्मत न दिखाते।

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विचारक

Thursday, 23 March 2017

लुप्त होती कश्मीर की आबरू - शारदा लिपि | Save Kashmir Save Kashmiriyat

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लुप्त होती कश्मीर की आबरू - शारदा लिपि
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संस्कृति द्रोह और भारत द्वेष के कारण आज एक लिपि लुप्त होने की कगार पर है
बात है कश्मीर में जन्मी लेखन पद्दति या लिपि जिसे शारदा लिपि कहते है

जी हाँ कश्मीर और पंजाब क्षेत्र की लिपि शारदा ही थी, शारदा लिपि ही गुरमुखी जो आज पंजाब में विस्तृत रूप से लिखी जाती है, की जननी है।

पुराने पञ्जाबी व् कश्मीरी साहित्यकारों ने शारदा लिपि का खूब प्रयोग किया है

आज आप जम्मू कश्मीर जाएँ तो आपको कश्मीरी भाषा फ़ारसी-अरबी इत्यादि विदेशी लिपियों की तरह ही एक मिलती जुलती लिपि में लिखी दिखाई पड़ेगी।

चलिए मान लेते हैं
इस्लामिक चिंतन के लोग अधिक है कश्मीर में इसलिए हार्दिक रूप से वे अरब में ही रमते बसते हैं
सो अरबी फ़ारसी लिपि ही प्रयोग करेंगे और कश्मीरी भाषा में भी कुछ कुछ इस्लामी भाषाएँ मिलाते होंगे।

परन्तु कश्मीरी हिंदुओं का भी उतना ही बुरा हाल है, प्रजा बेशक मुस्लिम हो, कश्मीर का राजा तो लगभग 1000 सालो से हिन्दू डोगरा राजपूत ही हैं, सत्ता हाथ में होते हुए भी शारदा लिपि को उच्च दर्जा दिलाने के लिए कुछ न किया??
आज किसी कश्मीरी पण्डित से पूछो की कश्मीरी शारदा में क्यों नही लिखते तो निष्क्रिय कबूतर अपने बच्चों का मुँह यह कह के बन्द करवा देते हैं
"It is very tough script". यह तो निष्क्रियता और अकर्मण्यता की पराकाष्ठा है।

लेकिन बांग्लादेश जैसे राष्ट्र ने बांग्ला भाषा को अपना सिरमौर माना, आमार सोनार बांग्ला उनका राष्ट्रगान रवीन्द्रनाथ ठाकुर का लिखा हुआ है, लिपि भी वही है जो भारत के बंगाल में लिखी पढ़ी जाती है। इन्होंने खामखाँ ही उर्दू को थोपा नही जाने दिया न ही अरबी फ़ारसी जैसी दिखने वाली कोई लिपि अपने ऊपर थोपवाई।
देश ही अलग बनवा लिया
नाम रखा बांग्लादेश न की बांग्लामुल्क।

शेख हसीना जी बुरका नही पहनती, साड़ी पहनती हैं व् महिलाये बिंदी और अन्य श्रृंगार को बांग्ला संस्कृति का हिस्सा मानती हैं।

हिन्दू व् भारत से द्वेष के चलते ये कश्मीरी स्वयम् को ही भूल बैठे, अब केवल कश्मीरी हिंदुओं पर ही यह जिम्मा है की क्या वे कश्मीरियत को अपने बच्चों को संस्काररूप दे पाते हैं या नही?
खेर वे अपने अस्तित्व को बचाने में ही फिलहाल सक्षम नही हैं, भाषा, संस्कृति, लिपि को क्या बचा पाएंगे ?

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विचारक

Wednesday, 8 March 2017

इस्लाम का भारत पर पहला आक्रमण | First invasion of Islam in India (644AD) | South Asian Islamic conversion

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इस्लाम का भारत पर पहला आक्रमण
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(क्षमा करे लेख थोड़ा लम्बा लगे तो)
क्या आप जानते हैं भारत भूखंड पर पहला इस्लामिक हमला 644AD में मकरान, बलोचिस्तान में हुआ
उस समय तक वहां सनातन परम्पराओं से पूजन इत्यादि होता था
मकरान में अरोड़ा वंशी खत्री (क्षत्रिय) राय वंश की तीन पीढ़ियों के साथ रशिदुन खलीफा की जंग हुई
मकरान, जो उस समय राजा दाहिर (ब्राह्मण - क्षत्रिय) वंश सिंध प्रांत की जागीरदारी में आती थी
रशिदुन खलीफा जो इस्लाम के पहले खलीफा थे और मुहम्मद के सीधे वंशज थे, मकरान पर जीत हासिल की
और उसके बाद मुहम्मद बिन कासिम ने बौद्धों की मदद से सिंध को ख़लीफ़ा के साम्राज्य तक मिला लिया
दोनों ही खत्री-अरोड़ा क्षत्रिय वंश विवश होकर बिखर गए और अलोर, सुक्कुर, सिंध में अपनी राजधानी छोड़ कर सब दिशाओं में भागे
जिन्हें आज आप अरोड़ा, खन्ना, कपूर, चड्ढा, चंडोक, गुलाटी, भाटिया आदि उपनामों से पहचानते हैं ये वोही राय क्षत्रिय के वंशावली से हैं
दिल्ली, हरियाणा व् बाकि भारत में इन्हें पंजाबी कम्युनिटी कहते हैं
जबकि पंजाब जो स्वयं ही पंजाबी भाषा का क्षेत्र है, इन्हें भापा कह कर संबोधित करता है
लेकिन आज क्या इस जाति के लोगों में क्षत्रियत्व दीखता है ? तनिक भी नहीं, क्षमा चाहूंगा पर ये वोहीं हैं जिन्होंने सबसे अधिक माँसाहार, मद्यपान, पब कल्चर, बॉलीवुड ,पाश्चात्य संस्कृति को बढ़ावा दिया , यह क्षत्रिय वर्ण त्याग कर, वैश्य बन गए, आज भी आपको दिल्ली के जनकपुरी से लेकर करोल बाग़ तक की बेल्ट में पंजाबी खत्री व् अरोड़ा सिख व् हिन्दू दोनों भरपूर मिलेंगे
इनका मूलतः वर्ण वैश्य से शुद्र बन चूका है, ऐसा इसलिए की देश धर्म व् संस्कृति की पहचान से ये विमुख हो चुकें हैं
आज इन्हें स्वयं नहीं पता की खत्री किसे कहते हैं, यह अपने आप को WE ARE PUNJABIS कह कर संबोधित करते हैं
इन्हें नहीं पता गोत्र किसे कहते हैं
इन्हें नहीं पता वर्ण किसे कहते हैं
इन्हें नहीं पता वेद किसे कहते हैं
इन्हें नहीं पता कुलदेवी/देवता किसे कहते हैं
इन्हें नहीं पता इनकी जाति क्या है
इन्हें यह पता है
की कितने पेग के बाद नशा होता है
किस्से कितनी पेमेन्ट लेनी बाकी है
मटन या चिकन पकाना हो तो मसाला कौनसा बढ़िया है
कहाँ पर कौनसी फिल्म बढ़िया लगी है
कौनसे डिस्क में कौनसी पार्टी चल रही है
कनाडा अमरीका का वीसा कहाँ और कितने में बनता है
एक बात अच्छी भी लिख दू ?
1950 तक इनका पाकिस्तान में कत्लेआम होता रहा है और यह भागे भागे फिर रहे हैं
पहले बलोचिस्तान से फिर सिंध से फिर पश्चिमी पंजाब से
अंत में भाग के भारत में आकर बसे तो हिन्दू महासभा के कैंप में रहें (मिल्खा सिंह देखी होगी आपने)
फिर कुछ हरियाणा पंजाब के बड़े शहरो , अधिकतर दिल्ली, उत्तर प्रदेश के शहरों और बड़े शहर जैसे मुम्बई, पुणे, चेन्नई, अमदावाद, रांची ,पटना जाकर बसे
कुछ ने रेलवे स्टेशनों पर बूट पोलिश बेचीं कुछ ने तांगा चलाया कुछ ने मजदूरी करी कुछ ने बर्तन साफ़ किये
अपनी महनत के दम पर देश के हर विभाग में उच्चतम स्थान प्राप्त किये
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (कोहली - खत्री) थे
बॉलीवुड में ऋतिक रोशन (नागरथ) , गोविंदा(आहूजा) , अक्षय कुमार भाटिया, रवीना टण्डन, कपूर परिवार, चोपड़ा परिवार , साहनी परिवार, जोहर परिवार आदि नाम बहुत प्रचलित हैं
परन्तु यह एकमात्र जाति ऐसी है जिसने चहु ओर से शोषण सहे
विभाजनों पर विभाजन सहे
पलायन पर पलायन सहे
1984 के दंगो में मरने वाले 95% सिख (खत्री) थे
 जाट आंदोलन में इन्ही के दुकानों पर हमले हुए
परन्तु यह जाति आरक्षण नहीं मांगती
इसकी अपनी कोई सभा नहीं है
भारत में एक भी ऐसा MLA क्षेत्र नहीं है जहाँ इनकी पकड़ हो
इनका तुष्टिकरण कोई नहीं करता क्योंकि यह कमा के खाने वाले हैं वोटबैंक नहीं बनते
इस बात के लिए इस जाति को शत शत नमन
पंरतु जहाँ कमियां है वहां उनको पूरा करने का जिम्मा भी इनको उठाना चाहिए
नोट
यह पोस्ट जातिवादी नहीं है, केवल एक जामवन्त की हनुमान को पुकार है
उठो आर्यों के वंशजों, नींद से जागो, न जाने कितने दयानंद चाहिए इस जाति को जगाने के लिए ?