Sudarshan Vahini
Thursday, 4 June 2020
हिन्दू खत्रियों / क्षत्रियों को आखरी चिट्ठी । Last reply to Hindu Khatris / Kshatriyas
Monday, 18 May 2020
अद्वैत वेदांत की सिद्धांत समीक्षा | Advait Vedanta Principles and their mimansa.
ओ३म्। स्वस्ति नऽ इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस् तार्क्ष्योऽ अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर् दधातु॥२७॥ –यजुर्वेद २५.१९
Thursday, 1 March 2018
हिन्दू कहने में शर्माते? Are you ashamed to call yourself 'Hindu'?
आंख खोल कर देखो घर में भीषण आग लगी है,
धर्म, सभ्यता, संस्कृति खाने दानव क्षुधा जगी है।
हिन्दू कहने में शर्माते, दूध लजाते, लाज न आती?
घोर पतन है, अपनी माँ को माँ कहने में फटती छाती।
- अटल बिहारी वाजपेयी
अटल जी द्वारा लिखी यह पंक्तियाँ वाकई हमे सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपना गोत्र, उपनाम, जाति बहुत गर्व से अपने नाम के साथ लगाते हैं।
दूसरों को बतातें फिरते हैं कि हम तो ब्राह्मण हैं, हम तो गुज्जर हैं, हम तो जाट हैं, राजपूत हैं, बनिये हैं, पंजाबी हैं, मराठी हैं, सिंधी हैं, गुजराती हैं इत्यादि
यदि कोई अपना उपनाम व जाति निजी कारणों से न बताना चाहे तो उससे 'फिर भी?', 'आप क्या हो वैसे?' कह कर 'उसकी जाति' ही पूछ लेते हैं फिर पता नही कैसा चरम सन्तोष प्राप्त होता हो यह जानकर की यह अपनी जाति का है या नही, यह तो मैं नही समझ पाया।
क्या पता कुछ लोग भेदभावपूर्ण या राजनीतिपूर्ण दृष्टि से सन्तोष पा लेते हो और अपने मन में उसकी जाति के अनुसार उसकी इमेज अपने दिमाग मे बना लेते हो जैसा उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना हो उनके बारे में।
जैसे बनिये कंजूस होते हैं, सिंधी गुजराती पैसे के पीर होते हैं, पंजाबी है तो दारू तो पीता ही होगा, जाट है तो सोलह दूनी आठ होगा, गुर्जर है तो लड़ाका होगा इत्यादि चर्चित बातों को एक दूसरे पर बिना अपनी बुद्धि का प्रयोग करे थोपते आएं हैं।
न जाने ये हिन्दू जाति यानी हिन्दू संस्कृति को धारण करने वाले लोग कब अन्य जाति वालों को अपना मानना शुरू करेंगे।
चलिए एक भेद खोलते हैं आपके आगे, आपमे से अधिकतर लोगों ने सिंधी शब्द तो सुना होगा या पंजाबी शब्द सुना ही होगा
ये सिंधी और पंजाबी क्या है? ये 2 भाषाएं हैं जो सिंध और पंजाब प्रान्तों में बोली जाती हैं। जी हाँ। यह कोई जातियाँ नही है!
सिंध प्रांत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति सिंधी कहलाता है
और पंजाब प्रांत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति पंजाबी कहलाता है
क्या आप जानते हैं कि सिंधी राजपूत, पंजाबी राजपूत भी होते हैं, सिंधी बनिये पंजाबी बनिये भी होते हैं, सिंधी ब्राह्मण और पंजाबी ब्राह्मण भी होते हैं, सिंधी जाट व पंजाबी जाट भी होते हैं, सिंधी गुर्जर पंजाबी गुर्जर, सिंधी चमार पंजाबी चमार, सिंधी खटीक पंजाबी खटीक, सिंधी सैनी व पंजाबी सैनी, इत्यादि
और क्यो न हों? पंजाब और सिंध केवल प्रान्तों के नाम हैं, उसमे सब जातियाँ रहती हैं और मातृभाषा पंजाबी और सिंधी बोलती हैं, तो वहां के रहने वाले सभी पंजाबी व सिंधी कहलायेंगे या नही?
पर विरला ही कोई इस बात को आज समझ पाता है कि यह पंजाबी राजपूत है और यह पंजाबी खत्री है और यह पंजाबी जट है या ये सिंधी ब्राह्मण है या ये सिंधी बनिया है।
ऐसा इसलिए क्योंकि यह दो प्रान्तों से इन सिंधी व पंजाबी हिन्दूओ की लभगभ सभी जातियों ने अपना अपना इतिहास भुला कर, अपनी अपनी जातियाँ भुला कर, केवल भाषा को जीवित रखा।
जब गीदड़ की मौत आती है तो शहर की ओर भागता है यह दोनों प्रान्त की सभी जातियाँ भी शेरों के समान 1000 सालों तक मुसलमानों के हमलों से लड़ती रही और जबतक पूरी तरह दमन हो गई तब गीदड़ के समान शहर की तरफ भागी, आज पंजाबी और सिंधी भाषा बोलते लोग आपको पूरे देश के लगभग सभी बड़े शहरों में व विदेश में भी मिल जाएंगे।
और इनको अब कोई पंजाबी ब्राह्मण पंजाबी खत्री पंजाबी राजपूत या सिंधी बनिया या सिंधी राजपूत या सिंधी जाट कह के नही पुकारता, केवल सिंधी या पंजाबी ही कहा जाता है।
इतनी विभाजित हुई जातियाँ भी अपने को एक तन्त्र के भीतर विकसित करने में सक्षम रही और देश के सबसे बड़े अधिकतर उद्योगपति सिंधी या पंजाबी ही हैं।
परन्तु भारतीय प्रजातन्त्र व संविधान ने इन दोनों भाषाओं के बोलने वालों को जाति का नाम दे दिया और कमाल है हिन्दुओं तुम्हे 2 नई जातियाँ मिल गयी।
अब आलम यह है कि ये दो जातियों को पाकिस्तानी कह के सम्भोधित किया जाता है और बाकी जातियाँ अब भी वही धुरी पर घूम रही हैं, ब्राह्मण, बनिया, नार्थ इंडियन साउथ इंडियन, बिहारी मराठी, बंगाली असामी आदि विवादों में फंसी हुई हैं।
जब ये 2 भाषाओं के बोलने वाले दमन करने के बाद अपने को पंजाबी और सिंधी काल्पनिक जाति वाला कह के एक सूत्र में पिरो गए तो क्यों नही समस्त जातियाँ अपने भेदभाव भूला कर, अपने अपने समाजी मंचो को छोड़, समग्र हिन्दू समाज कह कर स्वयं को एक धागे में पिरोने की पहल करें।
लगता है समग्र दमन(मार-काट) सहना अभी बाकी है, औरंगजेब व खिलजी का राज दुबारा आना बाकी है,
क्योंकि उनके लिए कोई ब्राह्मण जाट गुज्जर यादव पंजाबी मराठी नही है उनके लिए हम सब काफ़िर हैं
काफ़िर यानी जो अल्लाह को नही मानता और जो अल्लाह को न माने वो जीवन जीने योग्य नही है। ऐसा आसमानी किताब कुरआन कहती है।
एक बार और दमन सहने पर शायद ये बचे खुचे कटे फ़टे जातियों में बटे हिन्दू एक हो जाएं।
- विचारक (कटाक्षपूर्ण)
Sunday, 4 February 2018
हिन्दुओं को आख़िरी चेतावनी । Last Warning to Hindus
जो कौम खून देख नही सकती है वो नर पिशाचो से लड़ेगी कैसे ??
सिर्फ 10-15 साल और अय्याशी कर लो।
शाहरुख,सलमान की फिल्मे देख लो,
होली,दिवाली,शिव रात्री तो तुम्हारा कोर्ट और लोक तंत्र बंद करवा ही देगा
बाकी बचा काम शरियत और इस्लामिक कानून पूरी कर देगा
हिंदुओं तुम्हारे पास तो ना लड़ने वाले हाथ बचे है
हम दो हमारा एक बस और नही
ना लड़ने का कलेजा है
ना तुम्हारे साथ तुम्हारे देश का कानून है
ना तुम्हारी बिकाऊ और चार जालीदार टोपी देख कर पेशाब कर देने वाली पुलिस तुम्हारे साथ है
ना सेना तुमको बचा पाएगी
तुम्हारी हालत गली के आवारा कुत्ते जैसी होना निश्चित है
जानते होना क्यूँ ??
क्यूँ की तुम डरपोक और कायर होने के साथ साथ पलायनवादी हो चुके हो !
हर मुद्द्दे से भागना ,अपनो के दुख मे साथ ना देना ,
80 करोड़ हिंदुओं पर शासन करने और सभी हिंदुओं की सु्न्नत करवाने के लिए सिर्फ 8 लाख ट्रेंड जेहादियो और एक करोड़ जालीदार टोपी वालो की अनियन्त्रित भीड़ की आवश्यकता पड़ेगी,
जो उन लोगो के पास है और एक लाख आस्मानी किताब पढ़ाने वाला सेनापती चाहिए वो भी उनके पास है ,
उनकी ताकत उनका अपने मत के प्रति समर्पण है ऐसा जुनून और हौसला या जिगर क्या तुम हिंदुओं मे है ??
क्या तुम धर्म का अपमान करने वाले का गला काट पाओगे ??कभी नही
तुम मीट खा सकते हो लेकिन बकरे की गर्दन हलाल नही कर पाओगे क्यूँ की तुमको उल्टी आ जाएगी चक्कर खा कर गिर पड़ोगे
शायद तुम कभी न उठने वाली कुम्भकर्णी नींद में सो रहे हो, दिन में खाना शाम को उड़ाना और रात को नंगे हो जाना, यह पशुओं जैसा जीवन तुमने अपना लिया है
अब यू लगता है मानो भारत माता तो छोड़ो तुम्हारी माता को भी कोई पिशाच उठा ले जाये तो भी तुम कुछ नही कर पाओगे
यह पहले भी होता था और आगे भी होगा जिस दिन सत्ता उनके हाथ लग गई इस देश मे हिन्दू नस्ल का निशान भी बाकी नही रहेगा
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विचारक
Friday, 19 January 2018
Nehru was a communist, not socialist.
This blog will explain you in detail about the same.
Biggest mistakes by Nehru which are difficult to undone.
नेहरू की वह गलतियां जो भारत देश आजतक भुगत रहा है व आगे भी भुगतेगा
1. United Nations Security Council (UNSC) की पूर्णकालिक सदस्यता भारत को 1950 में ऑफर हुई थी फ्री में, जिसे दूरदृष्टा नेहरू ने दरियादिली दिखाते हुए चीन को दे दिया। चीन के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने की होड़ में नेहरू भविष्य को भांप न सके और 1962 में चीन भारत युद्ध मे भारत को मुंह की खानी पड़ी जिससे नेहरू की सारे संसार मे थू थू हुई।
समस्या यह कि आज भारत ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहा है security council में सीट पाने के लिए पर चीन ही भारत का रास्ता रोके हुए है।
2. नेहरू ने कभी भी अपनी सेना की बात नही सुनी, आर्मी में सैनिकों की कमी, आर्मी पर होने वाले खर्च की कमी, रक्षा मंत्री का विदेश मंत्री जैसा रवैया होना, यह समस्याएं 10 सालों में विक्राल रूप लेलेंगी ऐसा हमारे दूरदृष्टा नेहरू सोच न सके
1947 में कश्मीर हारे गिलगिट बाल्टिस्तान खो दिया, 1962 में लद्दाख का 45% हिस्सा चीन ने कब्जा लिया। उनके नशेड़ीपन की आदत इस कदर थी कि संसद में वह बोले जो इलाका चीन से हमने हारा है वहां तो सिवाय झाड़ियों के कुछ नही उगता इसपर संसद में महावीर त्यागी(सोनीपत से सांसद) ने उपहासास्पद रूप से कहा कि आपके सर पर भी 3 बाल से अधिक नही उगते क्या आपका सर भी चीन को दे दिया जाना चाहिए क्या?
समस्या यह कि विगत वर्षों में हम सैन्य पराजय के बाद चीन से दुबारा टक्कर लेने की स्थिति में आज भी नही हैं।
3. सबसे महत्वपूर्ण समस्या जिससे भारत आजतक झूझ रहा है वह है, जम्मू और कश्मीर मसले का हल। केवल 2 सप्ताह मांगे थे भारत की सेना ने नेहरू से की हम कश्मीर को पाकिस्तानियो के कब्जे से छुड़ा लेंगे, पर दूरदृष्टा नेहरू कहाँ उनकी सुनने वाले थे, कश्मीर के मसले को UNO में लेजाने का ऐयिहासिक फैसला करते ही, कश्मीर की समस्या विदेशियों के हाथ सौंप दी।
अब अमरीका बताएगा कि कश्मीर किसका है भारत का या पाक का?
यह समस्या आजतक लाखों कश्मीरियों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करती है चाहे वे हिन्दू हो या मुसलमान
4. शेख़ अब्दुल्लाह के साथ मित्रता के चलते, अधिक जनसंख्या वाले हिन्दू बहुल जम्मू को केवल 28 सीट दी और कम आबादी वाले मुस्लिम बहुल कश्मीर को 45 सीट देकर नेहरू ने देश और जम्मू कश्मीर वासियों के साथ धोखा किया है व लद्दाख को केवल 4 सीट दी जिनमें 2 मुस्लिम बहुल व 2 बौद्ध बहुल हैं
समस्या यह कि अब असेम्ब्ली में अधिकांश मुस्लिम विधायक होने के कारण कश्मीर का मुख्यमंत्री कभी हिन्दू नही हो सकेगा न कभी बौद्ध हो सकेगा।
5. देश के राज्यों को भाषाओं के आधार पर विभाजित करना,जिससे पंजाब पंजाबियों का, हरियाणा हरियाणवीयो का, कर्नाटक कन्नडिगाओ का, आंध्र तेलेगुओ का, तमिल नाडु तमिलियो का होकर रह गया पर देश भारतीयों का होकर नही रह जाता। यह नेहरू की वोटबैंक पोलिटिक्स के कारण हुआ।
समस्या यह कि लोगों के लिए देश भक्ति से पहले प्रांतवाद व भाषावाद के भक्त बने घूम रहे है
हम नार्थ तुम साउथ, हम द्रविड़ तुम आर्य। तू पंजाबी मैं हरियाणवी बने घुम रहे हैं, भाषा प्रान्त जाति व मत से पहले हम देश की बात क्यों नही करते?
5. दूरदृष्टा नेहरू द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था की मिट्टी पलीत करना जिससे भारत दशकों तक नही उभर सका, पिछड़े से भी पिछड़े देश 5% की वृद्धि दर से तरक्की कर रहे थे जबकि नेहरू के कालखण्ड में 4.2% की विकास दर थी हमारी।
नेहरू का मानना था कि अधिक उद्योग की आवश्यकता नही, एक्सपोर्ट के खिलाफ थे, मार्कट का कंट्रोल सरकार के हाथ मे होना चाहिए ऐसा मानना कम्युनिस्ट विचार है।
कुछ और नेहरू की गलतियां जिससे कि भारत की सुरक्षा पर आज भी खतरा हो सकता है, निम्नलिखित हैं
6. ग्वादर पोर्ट जो कराची में है ओमान सल्तनत ने भारत को 1 मिलियन डॉलर में ऑफर किया था, दूरदृष्टा नशेडू ने उसे ठुकरा दिया, पाकिस्तान ने उसी ग्वादर पोर्ट को 3 मिलियन डॉलर में खरीद लिया और चीन को बेच दिया जिससे भारतीय नौसेना और मर्चन्ट जहाज़ों को खतरा बना रहता है।
7. नेपाल, भारत मे विलय होने का प्रस्ताव भारत के पास लेकर आया था, नेहरू ने उसे भी ठुकरा दिया यह कह की कि यह बाकी देशों से हमारे रिश्ते बिगाड़ सकता है। दूरदृष्टा नेहरू जी इतने सुंदर देश जहां माउंट एवरेस्ट है दुनिया की सबसे मशहूर टूरिस्ट स्पॉट से भारत की अर्थव्यवस्था को कितना फायदा होता, आज आतंकी व ड्रग स्मगलर नेपाल के रास्ते भारत मे जुर्म करके भाग जाते हैं।
8. भारत का कोको आइलैंड म्यांमार को गिफ्ट में देना व म्यांमार का उस गिफ्ट को चीन को बेच देना 1994 में जिससे आजतक चीन अपनी पैठ भारतीय समुद्रों में बना रहा है
9. दुनिया मे कही स्वर्ग है तो वह है कश्मीर में यदि आप यही समझते हैं तो आपने कबाव घाटी के बारे में नही सुना जो कश्मीर से भी सुंदर घाटी मानी जाती है, इस घाटी को भी नेहरू ने म्यांमार को गिफ्ट कर दिया और पर्यटक अर्थव्यवस्था बनाने से चूक गए
इन सभी के अलावा 2 और बड़ी गलतियां जो नेहरू करता गया और हम चुपचाप बैठे हुए देखते गए वे थी
कॉमन सिविल कोड का नाम हिन्दू सिविल कोड करना और मुसलमानों के लिए शरियत कानून के अनुसार नया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बनाना जिससे मुस्लिम कांग्रेस के वोटबैंक बने रहे और कांग्रेस राज करती रहे। यह समस्या इतनी बड़ी है कि एक दिन यह देश इस्लामिक हो जाएगा क्योंकि 2050 तक मुस्लिम ईस धरा पर हिंदुओं से अधिक होजाएंगे और हम अपने ही देश मे अल्पसंख्यक बन जाएंगे
दूसरी यह कि अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी द्वारा नेहरू को नुक्लेअर बम बनाने का प्रस्ताव चीन से पहले देना व नेहरू का उसे यह कहकर ठुकरा देना की भारत तो शांतिप्रस्थ देश है हमे नुक्लेअर बम की क्या आवश्यकता।
अरे बेवकूफ नेहरू बम हमे एक दूसरे पर नही गिराने, दुश्मन पर गिराने है जो कि तुम्हारी शांतिप्रस्थ देश की शांति भंग करने की ताक में बैठा है
यदि नेहरू ने कैनेडी की बात मान ली होती तो चीन व पाकिस्तान 1962, 1965 व 1971 में भारत की ओर उंगली करने की हिम्मत न दिखाते।
Thursday, 23 March 2017
लुप्त होती कश्मीर की आबरू - शारदा लिपि | Save Kashmir Save Kashmiriyat
लुप्त होती कश्मीर की आबरू - शारदा लिपि
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संस्कृति द्रोह और भारत द्वेष के कारण आज एक लिपि लुप्त होने की कगार पर है
बात है कश्मीर में जन्मी लेखन पद्दति या लिपि जिसे शारदा लिपि कहते है
जी हाँ कश्मीर और पंजाब क्षेत्र की लिपि शारदा ही थी, शारदा लिपि ही गुरमुखी जो आज पंजाब में विस्तृत रूप से लिखी जाती है, की जननी है।
पुराने पञ्जाबी व् कश्मीरी साहित्यकारों ने शारदा लिपि का खूब प्रयोग किया है
आज आप जम्मू कश्मीर जाएँ तो आपको कश्मीरी भाषा फ़ारसी-अरबी इत्यादि विदेशी लिपियों की तरह ही एक मिलती जुलती लिपि में लिखी दिखाई पड़ेगी।
चलिए मान लेते हैं
इस्लामिक चिंतन के लोग अधिक है कश्मीर में इसलिए हार्दिक रूप से वे अरब में ही रमते बसते हैं
सो अरबी फ़ारसी लिपि ही प्रयोग करेंगे और कश्मीरी भाषा में भी कुछ कुछ इस्लामी भाषाएँ मिलाते होंगे।
परन्तु कश्मीरी हिंदुओं का भी उतना ही बुरा हाल है, प्रजा बेशक मुस्लिम हो, कश्मीर का राजा तो लगभग 1000 सालो से हिन्दू डोगरा राजपूत ही हैं, सत्ता हाथ में होते हुए भी शारदा लिपि को उच्च दर्जा दिलाने के लिए कुछ न किया??
आज किसी कश्मीरी पण्डित से पूछो की कश्मीरी शारदा में क्यों नही लिखते तो निष्क्रिय कबूतर अपने बच्चों का मुँह यह कह के बन्द करवा देते हैं
"It is very tough script". यह तो निष्क्रियता और अकर्मण्यता की पराकाष्ठा है।
लेकिन बांग्लादेश जैसे राष्ट्र ने बांग्ला भाषा को अपना सिरमौर माना, आमार सोनार बांग्ला उनका राष्ट्रगान रवीन्द्रनाथ ठाकुर का लिखा हुआ है, लिपि भी वही है जो भारत के बंगाल में लिखी पढ़ी जाती है। इन्होंने खामखाँ ही उर्दू को थोपा नही जाने दिया न ही अरबी फ़ारसी जैसी दिखने वाली कोई लिपि अपने ऊपर थोपवाई।
देश ही अलग बनवा लिया
नाम रखा बांग्लादेश न की बांग्लामुल्क।
शेख हसीना जी बुरका नही पहनती, साड़ी पहनती हैं व् महिलाये बिंदी और अन्य श्रृंगार को बांग्ला संस्कृति का हिस्सा मानती हैं।
हिन्दू व् भारत से द्वेष के चलते ये कश्मीरी स्वयम् को ही भूल बैठे, अब केवल कश्मीरी हिंदुओं पर ही यह जिम्मा है की क्या वे कश्मीरियत को अपने बच्चों को संस्काररूप दे पाते हैं या नही?
खेर वे अपने अस्तित्व को बचाने में ही फिलहाल सक्षम नही हैं, भाषा, संस्कृति, लिपि को क्या बचा पाएंगे ?
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विचारक
Wednesday, 8 March 2017
इस्लाम का भारत पर पहला आक्रमण | First invasion of Islam in India (644AD) | South Asian Islamic conversion
इस्लाम का भारत पर पहला आक्रमण
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उस समय तक वहां सनातन परम्पराओं से पूजन इत्यादि होता था
मकरान, जो उस समय राजा दाहिर (ब्राह्मण - क्षत्रिय) वंश सिंध प्रांत की जागीरदारी में आती थी
और उसके बाद मुहम्मद बिन कासिम ने बौद्धों की मदद से सिंध को ख़लीफ़ा के साम्राज्य तक मिला लिया
जबकि पंजाब जो स्वयं ही पंजाबी भाषा का क्षेत्र है, इन्हें भापा कह कर संबोधित करता है
आज इन्हें स्वयं नहीं पता की खत्री किसे कहते हैं, यह अपने आप को WE ARE PUNJABIS कह कर संबोधित करते हैं
इन्हें नहीं पता गोत्र किसे कहते हैं
इन्हें नहीं पता वर्ण किसे कहते हैं
इन्हें नहीं पता वेद किसे कहते हैं
इन्हें नहीं पता कुलदेवी/देवता किसे कहते हैं
इन्हें नहीं पता इनकी जाति क्या है
किस्से कितनी पेमेन्ट लेनी बाकी है
मटन या चिकन पकाना हो तो मसाला कौनसा बढ़िया है
कहाँ पर कौनसी फिल्म बढ़िया लगी है
कौनसे डिस्क में कौनसी पार्टी चल रही है
कनाडा अमरीका का वीसा कहाँ और कितने में बनता है
पहले बलोचिस्तान से फिर सिंध से फिर पश्चिमी पंजाब से
अंत में भाग के भारत में आकर बसे तो हिन्दू महासभा के कैंप में रहें (मिल्खा सिंह देखी होगी आपने)
फिर कुछ हरियाणा पंजाब के बड़े शहरो , अधिकतर दिल्ली, उत्तर प्रदेश के शहरों और बड़े शहर जैसे मुम्बई, पुणे, चेन्नई, अमदावाद, रांची ,पटना जाकर बसे
अपनी महनत के दम पर देश के हर विभाग में उच्चतम स्थान प्राप्त किये
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (कोहली - खत्री) थे
बॉलीवुड में ऋतिक रोशन (नागरथ) , गोविंदा(आहूजा) , अक्षय कुमार भाटिया, रवीना टण्डन, कपूर परिवार, चोपड़ा परिवार , साहनी परिवार, जोहर परिवार आदि नाम बहुत प्रचलित हैं
विभाजनों पर विभाजन सहे
पलायन पर पलायन सहे
1984 के दंगो में मरने वाले 95% सिख (खत्री) थे
जाट आंदोलन में इन्ही के दुकानों पर हमले हुए
इसकी अपनी कोई सभा नहीं है
भारत में एक भी ऐसा MLA क्षेत्र नहीं है जहाँ इनकी पकड़ हो
इनका तुष्टिकरण कोई नहीं करता क्योंकि यह कमा के खाने वाले हैं वोटबैंक नहीं बनते
पंरतु जहाँ कमियां है वहां उनको पूरा करने का जिम्मा भी इनको उठाना चाहिए
यह पोस्ट जातिवादी नहीं है, केवल एक जामवन्त की हनुमान को पुकार है
उठो आर्यों के वंशजों, नींद से जागो, न जाने कितने दयानंद चाहिए इस जाति को जगाने के लिए ?